गरीब आदमी और अमीर आदमी
गरीब आदमी और अमीर आदमी एक गरीब मोची और एक धनी व्यापारी, दोनो पड़ोसी थे। मोची के घर में ही जूते चप्पल सीने की छोटी सी दुकान थी। काम करते-करते वह अक्सर मौज में आकर गाने लगता। वह बहुत निश्ंिचत मस्तमौला आदमी था। उसे कभी अपने घर के दरवाजे खिड़कियाँ बंद करने की जरूरत नही महसूस हुई। वह रात को भगवान की पूजा करता और मजे से सो जाता। अमीर आदमी इस गरीब, हँसमुख मोची की ओर ईष्र्याभरी नजर से देखा करता। गरीब होने के बावजूद उस मोची को किसी बात की चिंता नही थी। जबकि अमीर आदमी को तरह-तरह की चिंताएँ सताती रहतीं थीं। गाना-गुनगुनाने की बात तो दूर वह खुलकर हँस भी नही सकता था। उसे हमेशा अपनी तथा अपने धन की रक्षा की चिंता सताती रहती थी। रात को वह अपने मकान के सारे दरवाजे खिड़किया बंद कर लेता था। फिर भी, उसे चैन की नींद नही आती थी ! एक दिन अमीर आदमी ने मोची को अपने घर बुलाया। उसने उसे पाँच हजार रूपए दिए और कहा, "लो, ये पैसे रख लो। इन्हे अपने ही पैसे समझो। इन पैसो को मुझे लौटाने की जरूरत नही है।" इतने पैसे पाकर गरीब आदमी को पहले तो बड़ी खशी हुई पर जल्दी ही इन पैसो ने उसके शांति और निश्चिंत